उपवास
मनुष्य ने सभ्यता के विकास में यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि उसे नियमित भोजन मिल सके, लेकिन अब भी कई लोगों को भूखे रहना ही पड़ता है। हमारे शरीर में जो अतिरिक्त चर्बी इकळा करने की प्रवृति होती है और जिससे आज कल लोग बहुत परेशान होते हैं वह प्रवृति आदिम युग की देन है। चर्बी शरीर के लिए ऊर्जा का रिजर्व भंडार है जिसे शरीर भोजन न मिलने के वक्त इस्तेमाल करता है। शरीर ऊर्जा के लिए ग्लुकोज का इस्तेमाल करता है लेकिन ग्लुकोज का भंडारण संभव नहीं है। इसलिए जब अतिरिक्त ऊर्जा मिलती है तो शरीर उसे चर्बी में बदलकर जमा कर लेता है। लीवर में ग्लाइकोजन नामक पदार्थ इकळा रहता है जो उपवास के एकाध दिन के अंदर ही ग्लुकोज में बदल में बदल जाता है। जब ग्लाइकोजन खत्म हो जाता है तो फिर चर्बी का नम्बर आता है। चर्बी ग्लुकोज में तो नहीं बदलती लेकिन कीटोन नामक रसायनों में बदलकर शरीर के काम आती है। शरीर में चर्बी का टुटना भी उपवास के स्तर पर निर्भर करता है। इसलिए वजन घटाने वाले लोग अक्सर पाते हैं कि वजन तो घट रहा है लेकिन पेट नहीं घट रहा।
इसकी वजह यह है कि पेट की चर्बी को बहुत ज्यादा इमरजेंसी मेें हीे सप्लाई करने का शरीर की व्यवस्था का नियम है। शरीर के पोषण की कमी से निपटने का एक और तरीका यह है कि वह शरीर की अंदरुनी गतिविधिायाँ या मेटाबोलिज्म को धीमा कर देता है ताकि ऊर्जा कम खर्च हो। इसलिए यह भी कहते हैं कि अगर वजन घटाना है तो ज्यादा भुखा नहीं रहना चाहिए। भुखे रहने से शरीर को यह संदेश मिलता है कि भोजन की कमी है इसलिए जब भी भोजन मिलता है तो उसे वह चर्बी के रुप में स्टोर कर लेता है।
एक घंटे की शारीरीक एक्टिविटिज में कैलोरिज फुंकने पर एक नजर:
ऐरोबिक 500
साइकिल चलाना (धीरे-धीरे) 300
पुश अप्स 575
नाचना 350
स्विमिंग (तैराकी) 200
पैदल चलना 350
हल्की वेट लिफ्टििंग 225
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