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Showing posts from September, 2020

वात, पीत, कफ

  वात         1. गर्म और वसा प्रकृति वाले भोजन का सलाह दिया जाता है। मीठा, खट्ट्टा और नमकीन वस्तु ठीक है। हाथ द्वारा मालिश फायदेमंद है। ठंड़ा पानी, ठंडा पेय तथा ठंडी हवा का सेवन न करें। विभिन्न प्रकार के औषधि और एनीमा फायदेमंद हैं। स्नान के लिए गर्म पानी इस्तेमाल करें। मूंग का दाल खाना है। अपथ्य (परहेज) --   दालें मुंग के शिवाय, रुक्ष खुराक, चाय एवं गन्ने के रस का सेवन या गन्ने के रस से बनने वाले पदार्थ। पीत   1. नियमित रुप से घी लेना फायदेमंद है।  प्रकृति का भोजन तथा मीठा, खट्ट्टा और ।ेजतपंदहमदज स्वाद का सलाह दिया जाता है। हल्का और ठंढ़ा सुगंध का सलाह दिया जाता है। ठंडे़ स्नान, नदी के किनारे आदि स्थानों पर रहने का सलाह दिया जाता है। आंवले, दुध, हरड़ से लाभ होता है। अपथ्य (परहेज) --  मिर्च मसाले, तेल और गरम पदार्थ, खटाई, चाय, तम्बाकु, मदिरा। कफ    1.  तीखा जैसे - मिर्च, खट्ट्टा जैसे - करैला और स्वाद वाले भोजन का सलाह दिया जाता है।  2. शारीरीक व्यायाम जैसे - दौड़ना, कुदना, तैरना, तेल मालिश का सलाह दिया जाता है।  3. औषधिय धुम्रपान का सलाह दिया जाता है।  4.  अदरक का रस और हरड़। अपथ्य (परह

कपालभाति(भस्त्रिका)

                                                              कपालभाति(भस्त्रिका)- जिस क्रिया में लोहार की धाैंकनी की भाति रेचक और पुरक शीघ्रता से चलता हो वह क्रिया कपाल भाति कहलाती है। यह कफ आदि दोषों का शोषण करने वाली होती है। विधि -  पदमासन में बैठकर दाहिने हाथ की अनामिका एवं मध्यमा अंगुलियों से बाई नासारंध्रों तथा अंगुठे को दायीं नासारंध्र पर रख दें। अब बायीं नासारंध्र को बंद कर दायीं नासारंध्र से बलपुर्वक श्वास लेते है तथा दाएं से लेकर बाएं से निकालना है। फिर बाएं से सांस लेकर दाएं से निकालें। इस प्रकार यह क्रम बारी-बारी से चलता है। ध्यान रहे श्वास लेते समय पेट बाहर हो श्वास छोड़ते समय पेट अंदर रहे। इस क्रिया को भस्त्रिका या कपालभाति कहते हैं।   (25 बार करें।) लाभ -  तेज जुकाम में श्वास नलियों के द्वारा जब कफ निकले सुत्रनेति का धौति क्रिया से जब इच्छित शुद्वि नहीं हो पाती तब कपालभाति लाभप्रद होती है। इस क्रिया के द्वारा फेफडे़ एवं कफ करने वाली समस्त नाड़ियों से पिघलकर नासारंध्र या मुख द्वारा बाहर निकलती है।    इसके फलस्वरुप फेफडे शुद्व एवं निरोग रहते हैं। मस्तिष्क एवं आमाश

नाभी परीक्षा

                                                                           नाभी परीक्षा   शरीर का अध्ययन हम उनके कुछ प्रमुख भागों में कर सकते है। ज्ैासे - मस्तिष्क, ह्रदय, नाभि इत्यादि। शरीर में नाभि का बहुत महत्व है। शरीर रुपी मशीन का हर ऊर्जा अपना कार्य ठीक से करे, नस नाडियंॉ रुपी कार्य जो 72 हजार के लगभग सारे शरीर में फैले हुए हैं अपना कार्य ठीक से सम्पादित करें और उनका नियंत्रण ठीक रहे। ये सब नाभि के ही कार्य है। भक्ति सागर ग्रंथ में चरण दास ने नाभि का उल्लेख इस प्रकार किया है। 72864 (बहतर हजार आठ सौ चौसठ)नाड़ी सबकी जड़ है नाभि मसाज। शरीर के अंग-प्रत्यंग तथा नस-नाड़ियां अपना-अपना महत्व रखते है इसी प्रकार शरीर को स्वस्थ और सुदृढ़ बनाए रखने के लिए नाभि का एक महत्वपुर्ण स्थान है अगर नाभि में तनिक भी खराबी आ जाए तो उससे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है और शरीर में अनेकों बिमारियां आ जाती है। प्रायः 90 प्रतिशत नर-नारी, बाल-बृद्वों के नाड़ी अपने स्थान से टली रहती है। इसके फलस्वरुप उदर संबंधि अनेकों प्रकार के रोगों से पिड़ित होने के साथ साथ मानसिक तनाव और मानसिक विकृति भी देखने को मिलती है। इ

नाड़ियॉं

                                                                  नाड़ियॉं   नाड़ियों का उदगम स्थान कन्द स्थान, नाभि से नीचे तथा स्वादिष्टान से ऊपर है। जहां से 72,864 नाड़ियॉं निकलती है, उनमें से दस नाड़ियॉं प्रधान है। पांच ज्ञानेन्द्रियाें को जो नाड़ियॉं जाती है- इड़ा, पिंगला, सुसुम्ना, गंधारी, हस्तजिह्वा, पुसा, यशस्वनी, अलंबुसा, कुहु, शंखीनी। 1. शंखीनी - गुदा में  2- पुसा- दोनों कान   3- यशस्वनी - बाएं कान    4- अलंबुसा- जीभ में   5- कुहु (किरकल) - लिंग  6- इडा - बाएं तरफ ठंढ़क  7- पिंगला- दाएं तरफ गर्मी  8- सुसुम्ना - बीच में 9- गंधारी - बाएं आंख में  10- हस्तजिह्वा - दाएं आंख में।  सुसुम्ना के कार्य -  धारणा, ध्यान, समाधि की प्राप्ति। शंखिनी के कार्य - मल विसर्जन वारूणी - मूत्र विसर्जन कुहु - मूत्र का ले आना शिवनी नाड़ी - अखंड ब्रम्हचर्य का पालन। मानव शरीर के अंदर योगशास्त्र के अनुसार 72,864 नाड़ियों का वर्णन आया है और उन नाड़ियों का उद्गम स्थान नाभि मंडल माना गया है। यहां से ही 72,864 नाड़ियां उत्पन्न हुई है जो शरीर में दाईं-बाईं, उपर-नीचे और मध्य में विद्यमान है। उदर के मध्य भाग मणिपुर

चक्र

                                     चक्र   आधारे लिंगे नाभौ प्रकटत ”दय तालमूले ललाटे।  द्वे पत्रे सोडसारे द्वि दश दशं दले द्वादशाहर्दे चतुस्के।।  वासन्ते बालमध्ये डफ कंठ सहिते कंठ देशे स्वराणां।  हं क्षं त्वदार्थ युक्तं सकल बल गतं वर्ण रस नमानि।। चक्रों के नाम पंखुड़ियों की संख्या स्थान मूलाधार चक्र चार लिंग स्वादिष्ठान चक्र छः उपस्थ मणिपुरक चक्र दस नाभि अनाहद चक्र बारह ”दय विशुद्वि चक्र सोलह तालूमूल आज्ञा चक्र दो पंखुड़ी                ललाट के दोनों भौवों शून्य चक्र अर्थात् सर्वप्रथम चक्र मूलाधार चक्र लिंग स्थान में है। अर्थात् उपस्थ में स्वादिष्ठान और नाभि में मणिपुरक चक्र का स्थान बताया गया है। ”दय के अंदर अनाहद चक्र है और तालूूमूल में विशुद्व चक्र है, ललाट के दोनों भौवों के बीच में आज्ञा चक्र है। इन चक्रों के या कमलों के पंखुडियों की संख्या इस प्रकार है। मूलाधार चक्र - व, ष, श, स तीनों ष स्वादिष्ठान चक्र - ब, भ, म, य, र, ल मणिपुरक चक्र -ड, ढ़, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ अनाहद चक्र-अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ओ, औ, ए, ऐ, अं, अः विशुद्वि चक्र-क, ख, ग, घ, ड-,

उपवास

                                                                      उपवास मनुष्य ने सभ्यता के विकास में यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि उसे नियमित भोजन मिल सके, लेकिन अब भी कई लोगों को भूखे रहना ही पड़ता है। हमारे शरीर में जो अतिरिक्त चर्बी इकळा करने की प्रवृति होती है और जिससे आज कल लोग बहुत परेशान होते हैं वह प्रवृति आदिम युग की देन है। चर्बी शरीर के लिए ऊर्जा का रिजर्व भंडार है जिसे शरीर भोजन न मिलने के वक्त इस्तेमाल करता है। शरीर ऊर्जा के लिए ग्लुकोज का इस्तेमाल करता है लेकिन ग्लुकोज का भंडारण संभव नहीं है।  इसलिए जब अतिरिक्त ऊर्जा मिलती है तो शरीर उसे चर्बी में बदलकर जमा कर लेता है। लीवर में ग्लाइकोजन नामक पदार्थ इकळा रहता है जो उपवास के एकाध दिन के अंदर ही ग्लुकोज में बदल में बदल जाता है। जब ग्लाइकोजन खत्म हो जाता है तो फिर चर्बी का नम्बर आता है। चर्बी ग्लुकोज में तो नहीं बदलती लेकिन कीटोन नामक रसायनों में बदलकर शरीर के काम आती है। शरीर में चर्बी का टुटना भी उपवास के स्तर पर निर्भर करता है। इसलिए वजन घटाने वाले लोग अक्सर पाते हैं कि वजन तो घट रहा है लेकिन पेट नहीं घट रहा। इ

ऊं है अविनाशि

 ऊं  है अविनाशि हमने ऊं या ओम के उच्चारण अनेक बार किया है और सुना है। इस मंत्र को बोलने या सुनने मात्र से मन और शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। आखिर ऐसा क्या है इस शब्द में कि इसकी आवृति से तन मन झंकृत हो जाता है? वैसे इस शब्द पर भारत और भारत के बाहर भी बहुत शोध हुए हैं और वैज्ञानिक शोध भी इस शब्द की आवृति को प्रभावशाली बताते हैं। मंडुकउपनिषद, अथर्ववेद के एक ब्राहण का छोटा सा उपनिषद है जिसमें केवल 12 मंत्र हैं, लेकिन यह अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें ऊॅं कि महिमा और इसकी मात्र की विस्तृत और विलक्षण व्याख्या की गई है। इस उपनिषद में ब्रहमाण्ड में ऊॅं की गुंज के बारे में विवरण है तथा इस ऊॅ को ही जीवन की उत्पति का कारण माना गया है। ब्रहमाण्ड के सभी ग्रह जिस लय में एक निश्चित गति से भ्रमण कर रहे है, उस का कारण भी ऊॅ के गुंज को ही माना गया है। माना जाता है कि कौशितकी ऋषि निःसंतान थे। संतान प्राप्ति के लिए उन्होने सुर्य का ध्यान कर ऊॅं का जाप किया तो उन्हें पुत्र प्राप्ति हो गई। गोपथ ब्राहमण में उल्लेख है कि जो कुश के आसन पर पुर्व की ओर मुख कर एक हजार बार ऊं रुपी मंत्र का जाप करता ह

बिना दवा के दर्द दूर

    शरीर पर मसाले का लेप लगाने से शरीर को ऊर्जा मिलती है। ब्लड सर्कुलेशन भी ठीक रहता है। पिंड स्वेद थेरेपी में शरीर का इतना पसीना बहता है कि पूरा शरीर अंदर से साफ हो जाता है। इस थेरेपी से आर्थराइटिस, पीठ और जोड़ों का दर्द और सांस संबंधि समस्या भी दुर होती है। इसके बाद शरीर पर एक लेप लगाया जाता है लगाते समय बांडी को कुछ स्ट्रोक दिया जाता है। इसके बाद गर्म पानी से नहाना होता है। आयुर्वेद से लेकर फिटनेस की मार्डन साइंस तक ऐसी कई थेरेपी है जो शिकायतें दुर कर सकती है ऐसे थेरेपी को रीजेनोवेजन थिरेपी कहते हैं। यानी ऐसे थेरेपी जो आपके शरीर को जरुरत के मुताबिक आराम पहुंचाकर उसे फिर से मेहनत लायक बनाती है। लौंग, अदरक, दालचीनी, कालीमिर्च को पीसकर उसका लेप शरीर पर लगाने से शरीर को गर्माहट मिलती है और एनर्जी महसुस होती है। ब्लड सर्कुलेसन भी ठीक हो जाता है।

जूस थिरेपी

                                         जूस थिरेपी ☺☺☺☺ 1- अम्लता - 1- गाजर $ पालक, 2- गाजर $ चुकन्दर $ ककड़ी 2- एलर्जी - 1- गाजर $ पालक, 2- गाजर $ चुकन्दर $ ककड़ी,  3- अंडकोश- 1- गाजर $ पालक, 2- गाजर $ चुकन्दर $ ककड़ी, 3- अनार 4- अनिद्रा - 1- गाजर $ पालक, 2- गाजर $ चुकन्दर $ ककड़ी, 3-अंगूर 5- अल्सर - 1- गाजर $ पालक, 2- गाजर $ चुकन्दर $ ककड़ी, 3-पतागोभी 6- आंत का फोड़ा -1- गाजर $ पालक, 2- गाजर $ चुकन्दर $ ककड़ी  7- आंव -1- गाजर $ पालक, 2- गाजर $ चुकन्दर $ ककड़ी 8- आंख का रोग - 1- गाजर $ पालक, 2- गाजर $ चुकन्दर $ ककड़ी 9- उदर शूल -1- गाजर $ पालक, 2- गाजर $ चुकन्दर $ ककड़ी 10- कब्ज -1- गाजर $ पालक, 2- गाजर $ चुकन्दर $ ककड़ी, 3- बथुआ 11- टांसिल-1- गाजर $ पालक, 2- गाजर $ चुकन्दर $ ककड़ी 12- कंठमाला-1- गाजर $ पालक, 2- गाजर $ चुकन्दर $ ककड़ी 13- कंठनली-1- गाजर $ पालक, 2- गाजर $ चुकन्दर $ ककड़ी 14- चर्म रोग- 1- गाजर $ पालक, 2- गाजर $ चुकन्दर $ ककड़ी 15- ज्वर गर्मी का - 1- गाजर $ पालक, 2- गाजर $ चुकन्दर $ ककड़ी, 3- नींबू 16- ज्वर एन्फलूएंजा- 1- गाजर $ पालक, 2-

पेट में गैस बनना

 पेट की गैस बनना और पेट की गैस के लक्षण : गैस होने पर पीड़ित को कुछ लक्षण महसूस होते है जैसे –  पेट में गैस भरी हुई मालूम होना,  पेट और पीठ में दर्द,  आंतों में गड़गड़ाहट,  पेट साफ न होना, ठी से नींद न आना,  थकावट, सिर दर्द,  भूख कम लगना, ड़कन बढ़ना,   सीने में दर्द ,  डकारें आना,  छाती में जलन,  नाड़ी दुर्बलता,  गैस निकलने पर आराम मिलना जैसे गैस के लक्षण देखने को मिलते हैं। पेट में गैस की समस्या से छूटकारा पाने के आसान से घरेलू उपाय: 1. नीबू के रस में 1 चम्मच बेकिंग सोडा मिलाकर सुबह के वक्त खाली पेट पिएं। 2. काली मिर्च का सेवन करने पर पेट में हाजमे की समस्या दूर हो जाती है। 3.  दूध में काली मिर्च मिलाकर  पी सकते हैं। 4. छाछ में काला नमक और अजवाइन मिलाकर पीने से भी गैस की समस्या में काफी लाभ मिलता है। 5. दालचीनी को पानी मे उबालकर, ठंडा कर लें और सुबह खाली पेट पिएं। इसमें शहद मिलाकर पिया जा सकता है। 6. लहसुन भी गैस की समस्या से निजात दिलाता है। लहसुन को जीरा, खड़ा धनिया के साथ उबालकर इसका काढ़ा पीने से काफी फायदा मिलता है। इसे दिन में 2 बार पी सकते हैं। 7. दिनभर में दो से तीन बार इलायची

हिंदू धर्म में शादी ब्याह से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं

 ☺ हिन्दू धर्म में shadi ke liye ladka ladki दूसरे गोत्र में ही क्यों देखे जाते हैं?☺   हिंदू धर्म में शादी से जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं हैं। ये मान्यताएं सदियों से चली आ रही हैं जिनका पालन आज भी किया जाता है। ऐसी ही एक मान्यता के अनुसार हिन्दू धर्म में shadi ke liye ladki  दूसरे गोत्र में ही देखी जाती है। अपने गोत्र में shadi ke liye ladki देखना वर्जित है। हिंदुओं में Shadi ke liye ladki देखते समय  दो लोग एक ही गोत्र से संबंध रखते हैं तो इसका मतलब यही है कि उनके बीच एक पारिवारिक रिश्ता है। वो दोनों एक ही मूल और एक ही कुल वंश के हैं।  हिंदू धर्म में एक ही गोत्र में shadi ke liye ladki देखना वर्जित है क्योंकि  मान्यता चली आ रही हैं कि एक ही गोत्र का लड़का और लड़की एक-दूसरे के भाई-बहन होते हैं । हिंदू धर्म एक ही गोत्र में शादी करने की इजाजत नहीं देता है। ऐसा माना जाता है कि एक ही कुल या एक ही गोत्र में शादी करने से इंसान को शादी के बाद कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं इस तरह की शादी से होनेवाले बच्चे में कई अवगुण भी आ जाते हैं। एक गोत्र में shadi ke liye ladki न द

षट्कर्म

  षट्कर्म क्या है ? षट्कर्म दो शब्दों ‘षट्’और ‘कर्म’ से मिलकर बना है। ‘षट्’का अर्थ है छ: और ‘कर्म’ का अर्थ है कार्य। आयुर्वेद में ‘कर्म’का अर्थ  होता है शोधन । षट्कर्म में शुद्धिकरण क्रियाएं शरीर को भीतर से स्वच्छ एवं साफ करने और योग साधक को उच्च योग क्रियाएं करने के लिए तैयार करने हेतु बनाई गई हैं। । ये हैं: १. धौति २. वस्ती ३. नेती ४. नौली ५. त्राटक ६. कपालभाति आधुनिक चिकित्सा में षट्कर्म आजकल षट्कर्म या शुद्धि क्रिया योग में चिकित्सा समुदाय की बहुत रुचि जगी है। आधुनिक चिकित्साशास्त्रियों द्वारा किए गए विभिन्न अध्ययनों  से यह बात साबित हो गया है कि विभिन्न रोगों की रोकथाम में षट्कर्म के लाभ होने की बात स्वीकार की है। षट्कर्म क्रियाएं शरीर से विषैले पदार्थ को निकालने में, शरीर की विभिन्न प्रणालियों को सशक्त करने में, उनकी कार्यक्षमता बढ़ाने में तथा व्यक्ति को विभिन्न रोगों से मुक्त रखने में बड़ी भूमिका निभाती है। षट्कर्म के फायदे षट्कर्म  या शोधन योग क्रिया एक ऐसी योगाभ्यास है जो शरीर को शुद्ध करने  में अहम् भूमिका निभाती है। हठयोग के अनुसार शुद्धि क्रिया योग शरीर में एकत्र

शादी

  भले ही आप प्यार अंधे हो कर कर रहे हों, पर शादी आंख बंद कर के न करें। शादी से पहले अपने साथी में इन चीजों की परख जरूर कर लें। शादी, एक व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण चरण है और हर कोई इससे जुडे किसी भी फैसले को लेने से पहले कई बार सोचता है। खासकर अपने पार्टनर और साथी को लेकर। जब आप सही व्यक्ति के साथ गाँठ बाँधते हैं, तो आने वाले जीवन का अनुभव रोमांचक और सुखद हो सकता है। अन्यथा, यह भावनात्मक रूप से सूखा और शारीरिक रूप से प्राणपोषक हो सकता है। वास्तविकता में विवाह मुश्किल और चुनौतीपूर्ण होता है। एक बार जब आप हनीमून चरण से बाहर हो जाते हैं तो चीजें बदल जाती है। ऐसे में लोग कुछ असुविधाजनक परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं, जो आपको यह सोचने पर मजबूर कर सकती हैं कि आपने सही व्यक्ति से शादी की है या नहीं। हालांकि एक संगत जीवन साथी की कोई गारंटी नहीं होती हैं। हालांकि, साथी को चुनते समय आप कुछ सोच-समझ कर फैसला ले सकते हैं।  आपके वैल्यू एक जैसे हों- एक शादी में दोनों लोगों में एक जैसे मूल्यों को होना बहुत मायने रखता है। इसका मतलब है कि दोनों में समान सामाजिक-सांस्कृतिक या  विश्वास और एक जैसी

विवाह के पवित्र वचन और महत्व

  विवाह के 7 पवित्र वचन और महत्व विवाह के समय पति-पत्नी अग्नि को साक्षी मानकर एक-दूसरे को सात वचन देते हैं जिनका दांपत्य जीवन में काफी महत्व होता है। आज भी यदि इनके महत्व को समझ लिया जाता है तो वैवाहिक जीवन में आने वाली कई समस्याओं से निजात पाई जा सकती है। विवाह समय पति द्वारा पत्नी को दिए जाने वाले सात वचनों के महत्व को देखते हुए यहां उन वचनों के बारे में जानकारी दी जा रही है। 1. तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्या: वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी!। (यहां कन्या वर से कहती है कि यदि आप कभी तीर्थयात्रा को जाओ तो मुझे भी अपने संग लेकर जाना। कोई व्रत-उपवास अथवा अन्य धर्म कार्य आप करें तो आज की भांति ही मुझे अपने वाम भाग में अवश्य स्थान दें। यदि आप इसे स्वीकार करते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।) किसी भी प्रकार के धार्मिक कृत्यों की पूर्णता हेतु पति के साथ पत्नी का होना अनिवार्य माना गया है। पत्नी द्वारा इस वचन के माध्यम से धार्मिक कार्यों में पत्नी की सहभा‍गिता व महत्व को स्पष्ट किया गया है। 2. पुज्यो यथा स्वौ पितरौ ममापि तथेश

कीटनाशक

  क्रम सं. रसायन का नाम पैकिंग इकाई विक्रय मूल्य अ. कीटनाशक धूल/दानेदार 1 मैलाशियान 5 प्रतिशत डी0पी0 25 किग्रा० किग्रा० 27.00 2 फेनवेलरेट 0.4 प्रतिशत धूल 25 किग्रा० किग्रा० 13.50 3 क्लोरापाइरीफास 1.5 प्रतिशत धूल 5 किग्रा० 10 किग्रा० किग्रा० किग्रा० 15.50 14.50 4 फिप्रोनिल 0.3 प्रतिशत ग्रेन्यूल 1.00 किग्रा० 5 किग्रा० किग्रा० किग्रा० 53.50 51.00 5 क्लोरापाइरीफास 10 प्रतिशत ग्रेन्यूल 10 किग्रा० 25 किग्रा० किग्रा० किग्रा० 71.00 70.00 6 कार्बोफ्यूरॉन 3 सी0जी0 1.00 किग्रा० 5 किग्रा० किग्रा० किग्रा० 51.00 46.50 ब. कीटनाशक तरल 1 डाइक्लोरोवास 76 प्रतिशत ई०सी० 100 मिली० लीटर 402.00 250 मिली० लीटर 386.00 500 मिली० लीटर 375.00 1.00 लीटर लीटर 358.00 2 क्लोरापाइरीफास 20 प्रतिशत ई०सी० 250 मिली० लीटर 232.00 500 मिली० लीटर 213.00 1.00 लीटर लीटर 205.50 3 डाइमेथोएट 30 प्रतिशत ई०सी० 100 मिली० लीटर 348.50 250 मिली० लीटर 333.00 500 मिली० लीटर 319.00 1.00 लीटर लीटर 304.50 4 क्यूनालफास 25 प्रतिशत ई०सी० 100 मिली० लीटर 430.00 250 मिली० लीटर 419.00 500 मिली० लीटर 402.5 1.00 लीटर लीटर 3

फल-सब्ज़ियों पर लगे पेस्टिसाइड्स

   फल-सब्ज़ियों पर लगे पेस्टिसाइड्स कर सकते हैं लिवर और लंग्स को डैमेज़ पेस्टिसाइड्स भोजन के माध्यम से हमारे शरीर के अंदर पहुंच जाती हैं, और कई तरह से पेस्टीसाइड्स शरीर के अलग-अलग अंगों पर प्रभाव डालते हैं। पेस्टिसाइड्स या कीटनाशकों का इस्तेमाल फसलों को बचाने के लिए किया जाता है। लेकिन इन दवाइयों का हमारे शरीर पर कई तरह से साइड-इफेक्ट (Pesticides Side Effects) होता है। पेस्टिसाइड्स की वजह से जहां मच्छर, मक्खियों और कीड़ों से फसलों को बचाना आसान हो जाता है। उसी तरह ये भोजन के माध्यम से हमारे शरीर के अंदर पहुंच जाती हैं, और कई तरह से  पेस्टीसाइड्स शरीर के अलग-अलग अंगों पर इस तरह प्रभाव डालते हैं।(Pesticides and health problems)  Also Read - क्या आप 10 बजे के बाद डिनर लेते हैं ? जल्दी डिनर खाने से दूर रहती हैं ये 6 बीमारियां, होते हैं ये भी फायदे लंग्स को पहुंचा सकता है नुकसान: पेस्टीसाइड्स की थोड़ी-सी मात्रा भी लंग्स डिस्फंक्शन (Pesticides Side Effects) जैसी समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। स्टडीज़ में यह बात कही गयी है कि शरीर में पेस्टीसाइड्स की मौजूदगी के कारण क्रोनिक कफ या खांसी की समस्य

महिलाओं की नसबंदी

  महिलाओं की नसबंदी के क्या तरीके हैं, नसबंदी कराने के बाद गर्भवती होने का चांस कितना है और कैसे की जाती है नसबंदी, जानें सबकुछ।   घर में बच्चे सभी को अच्छे लगते हैं, लेकिन बच्चों के साथ ही ढेर सारी जिम्मेदारियां और खर्चे भी आते हैं। लंबे समय में बच्चों को सही शिक्षा, सही जीवनशैली देना और फिर शादी-विवाह करने और उनके लिए सुख-सुविधाएं जुटाने जैसी बहुत सारी जिम्मेदारियां मां-बाप पर आती हैं। इसीलिए बच्चे जितने कम हों, उनका पालन-पोषण उतने सही तरीके से हो सकता है। पहले की अपेक्षा लोगों ने अब परिवार नियोजन के बारे में सोचना शुरू कर दिया है। अब ज्यादातर लोग 1 या 2 बच्चे ही करते हैं और सरकार का नारा भी 'हम दो हमारे दो' का है। वैसे तो परिवार नियोजन के कई उपाय हैं, लेकिन सबसे ज्यादा पॉपुलर और स्थाई उपाय नसबंदी ही है। आइए आपको बताते हैं महिलाओं की नसबंदी के बारे में और इसके तरीकों के बारे में जरूरी जानकारियां। कैसे होती है नसबंदी? महिलाओं में नसबंदी का तरीका बहुत आसान और सुरक्षित है। कोई भी महिला गर्भवती तब होती है, जब उसके अंडाशय में बनने वाला अंडा गर्भाशय तक पहुंचता है और फिर पुरुष के स्

पुदीने

 पुदीने के तेल का प्रयोग -  डायरिया, सूजन, कब्ज और अत्यधिक गैस सहित इरिटेबल बाउल सिंड्रोम आईबीएस के लक्षणों में सुधार कर सकता है। पुदीने में एंटीस्पास्मोडिक गुण होते हैं, जो आपके बृहदान्त्र को अनैच्छिक मांसपेशी संकुचन होने से रोकता है, जो पेट में दर्द में योगदान कर सकते हैं। जर्नल ऑफ क्लिनिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी में 2014 में प्रकाशित एक समीक्षा में, आईबीएस से पीड़ित लोग जो पेपरमिंट ऑयल लेते थे, उन्होंने उन लोगों की तुलना में अपने लक्षणों में महत्वपूर्ण सुधार देखा, जो इस तेल का प्रयोग नहीं करते थे। पेट में गैस न बने इस समस्या से बचने के लिए आप बाजार में बिकने वाले पुदीना के कैप्सूल भी खरीद सकते हैं और अपने भोजन को खाने के लिए बैठने से लगभग एक घंटे पहले इनका सेवन कर सकते हैं। नियमित रूप से ऐसा करने पर आपके पेट में गैस बनने की समस्या खत्म हो जाएगी।  इसे भी पढ़ेंः पेट के दर्द को हर बार एसिडिटी से न जोड़े, जानें गैस के अलावा पेट दर्द के 5 बड़े कारण अप्लाई हीट कुछ अध्ययन में इस बात पर जोर दिया गया है कि हीटिंग पैड का उपयोग करने से अत्यधिक गैस के कारण पेट में दर्द से राहत मिल सकती है। एक हीटिंग

पपीता

        ☺पपीता☺   पपीता  इस्तेमाल में लाया जा सकता है . 1.   कोलेस्ट्रॉल कम करन में - पपीते में उच्च मात्रा में फाइबर होता है . ये विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स से भी भरपूर होता है . इन्हीं गुणों के चलते ये कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में काफी असरदार है . 2. वजन घटाने में - एक मध्यम आकार के पपीते में 120 कैलोरी होती है . वजन घटाने में अपनी डाइट में पपीते को जरूर शामिल करें . इसमें मौजूद फाइबर्स   वजन घटाने में मददगार होते हैं   . 3. रोग प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ाने में - रोग प्रतिरक्षा क्षमता अच्छी हो तो बीमारियां दूर रहती हैं . पपीता शरीर के लिए आवश्यक विटामिन सी को पूरा करता है . ऐसे में अगर हर रोज पपीता खाते हैं तो बीमार होने की आशंका कम हो जाएगी . 4. आंखों की रोशनी बढ़ाने में - पपीते में विटामिन सी भरपूर होता है साथ ही विटामिन ए भी पर्याप्त मात्रा में होता है . विटामिन ए आंखों की रोशनी बढ़ाने के साथ ही बढ़ती उम्र से जुड़ी कई समस्याओं के समाधान में भी कारगर है . 5. पाचन तंत्र को सक्रिय रखने में - पपीते के सेवन से पाचन तंत्र भी सक्रिय रहता है . पपीते

नींबू का रस (Lemon or Lemon Juice with warm water )

                                        नींबू     नींबू का रस (lemon juice) विटामिन C का स्त्रोत हैं जो कि शरीर के लिए बहुत उपयोगी हैं | विटामिन C युक्त पदार्थ शरीर की त्वचा को मुलायम बनाते हैं जिनमें नींबू का रस (lemon juice) अत्यधिक फायदेमंद हैं   | नींबू का रस (lemon juice) की कुछ बुँदे गरम पानी में डालकर लेने से यह शरीर के जहरीले पदार्थ (toxins) को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता हैं | यह पाचन तंत्र को सुचारू करता हैं जिससे कब्ज जैसी समस्या दूर होती हैं   | यह वजन कम करने में सहायक होता हैं | नीबू में पोटेशियम , केल्शियम , पेक्टिन फाइबर , phosphorus,magnesium एवम विटामिन C (citric acid) प्रचुर मात्रा में होते हैं | नीबू में कुछ मात्रा में आयरन तथा विटामिन A भी मिलता हैं इस तरह नीबू मल्टी टेलेंटेड हैं जो कि शरीर को रोगों से लड़ने के लिए तैयार करता हैं नींबू   का   रस  (Lemon or Lemon Juice with warm water ) ·            शरीर में pH level को संतुलित रखता हैं |