सफेद हेडलाइट से होने वाले नुकसान
1. तेज़ चकाचौंध (Glare):
सफेद या नीली रोशनी बहुत तीखी होती है, खासकर रात या कोहरे में।
इससे सामने से आने वाले ड्राइवर की आंखें चौंधिया जाती हैं और वह कुछ सेकंड के लिए अंधा-सा महसूस करता है।
यही कुछ सेकंड दुर्घटना का कारण बनते हैं।
2. आंखों पर असर:
यह रोशनी रेटिना पर सीधा प्रभाव डालती है।
लंबे समय तक एक्सपोज़र से आंखों में जलन, दर्द और नजर कमजोर हो सकती है।
3. कोहरे या बारिश में उल्टा असर:
सफेद रोशनी कोहरा या बारिश में प्रतिबिंबित होकर वापस आती है,
जिससे रास्ता और भी धुंधला दिखने लगता है
4. गांव या हाइवे पर ज्यादा खतरा:
वहां स्ट्रीट लाइट नहीं होती, इसलिए सफेद हेडलाइट सामने से आने वाले को पूरी तरह अंधा कर देती है।
⚖️ कानूनी स्थिति
मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार, वाहन में फैक्ट्री-फिटेड हेडलाइट के रंग और क्षमता (वाटेज) से छेड़छाड़ गैरकानूनी है।
व्हाइट, ब्लू या हाय-इंटेंसिटी HID/LED लाइट को सड़क पर इस्तेमाल करना कानूनी अपराध माना जाता है।
RTO और ट्रैफिक पुलिस ऐसे वाहनों पर ₹5,000 तक जुर्माना लगा सकती है और RC या वाहन जब्त भी कर सकती है।
क्या इस्तेमाल करना चाहिए
वार्म येलो या हल्की पीली हेडलाइट (3200K–4300K) सबसे सुरक्षित है।
यह आंखों के लिए आरामदायक होती है और कोहरे में भी बेहतर दिखती है।
हमेशा फैक्ट्री-फिटेड या ISI मार्क वाली हेडलाइट ही लगवानी चाहिए।
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