कई लोग सोचते हैं कि “एलाइनमेंट बार-बार क्यों करवाना चाहिए?” लेकिन असल सच्चाई यह है कि हर ड्राइवर का ड्राइविंग स्टाइल अलग होता है — कोई अचानक ब्रेक लगाता है, कोई गड्ढों में तेजी से गाड़ी निकालता है, तो कोई मोड़ों पर ज़्यादा झुकाव से गाड़ी मोड़ता है। यही अलग-अलग ड्राइविंग पैटर्न टायर के एलाइनमेंट को बिगाड़ देते हैं। जब एलाइनमेंट बिगड़ता है, तो टायर असमान घिसते हैं 🛞 माइलेज कम होता है ⛽ स्टीयरिंग खिंचने लगता है ↔️ और गाड़ी चलाते वक्त एक हल्की थकान या झटके महसूस होते हैं 😣 👉 इसलिए, हर 2000 किलोमीटर पर एलाइनमेंट चेक करवाना एक छोटी सावधानी है जो बड़े नुकसान से बचाती है। यह जांच सिर्फ 15–20 मिनट का काम है, पर इससे टायर की लाइफ कम से कम 20–25% तक बढ़ जाती ह
> “एलाइनमेंट चेक करवाने में कभी नुकसान नहीं, सिर्फ फायदा है।
यह आपकी कार की सेहत, टायर की उम्र और जेब — तीनों की सुरक्षा करता है।”
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