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एलाइनमेंट चेक करवाने में कभी नुकसान नहीं, सिर्फ फायदा है।

 कई लोग सोचते हैं कि “एलाइनमेंट बार-बार क्यों करवाना चाहिए?” लेकिन असल सच्चाई यह है कि हर ड्राइवर का ड्राइविंग स्टाइल अलग होता है — कोई अचानक ब्रेक लगाता है, कोई गड्ढों में तेजी से गाड़ी निकालता है, तो कोई मोड़ों पर ज़्यादा झुकाव से गाड़ी मोड़ता है। यही अलग-अलग ड्राइविंग पैटर्न टायर के एलाइनमेंट को बिगाड़ देते हैं। जब एलाइनमेंट बिगड़ता है, तो टायर असमान घिसते हैं 🛞 माइलेज कम होता है ⛽ स्टीयरिंग खिंचने लगता है ↔️ और गाड़ी चलाते वक्त एक हल्की थकान या झटके महसूस होते हैं 😣 👉 इसलिए, हर 2000 किलोमीटर पर एलाइनमेंट चेक करवाना एक छोटी सावधानी है जो बड़े नुकसान से बचाती है। यह जांच सिर्फ 15–20 मिनट का काम है, पर इससे टायर की लाइफ कम से कम 20–25% तक बढ़ जाती ह

> “एलाइनमेंट चेक करवाने में कभी नुकसान नहीं, सिर्फ फायदा है।

यह आपकी कार की सेहत, टायर की उम्र और जेब — तीनों की सुरक्षा करता है।” 

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  सूक्ष्म व्यायाम                 उच्चारण स्थल तथा विशुद्व चक्र की शुद्वी   (ज्ीतवंज ंदक अवपबम)-- सामने देखते हुए श्वास प्रश्वास करना है। प्रार्थना - बुद्वी तथा घृति शक्ति विकासक क्रिया (उपदक ंदक ूपसस चवूमत कमअमसवचउमदज) - शिखामंडल में देखते हुए श्वास प्रश्वास की क्रिया करना है। स्मरण शक्ति विकासक (उमउवतल कमअमसवचउमदज) - डेढ़ गज की दुरी पर देखते हुए श्वास प्रश्वास की क्रिया करें। मेघा शक्ति विकासक(प्दजमससमबज कमअमसवचउमदज) - ठुढ़ीे कंठ कुप से लगाकर ग्रीवा के पीछे गढ़ीले स्थान पर ध्यान रखकर श्वास प्रश्वास करें। नेत्र शक्ति विकासक (मलम ेपहीज) - दोनों नेत्रें से भ्रूमध्य उपर आशमान की तरफ देखें। कपोल शक्ति विकासक(बीमबा तमरनअमदंजपवद) -   मुख को कौए की चोंच की भाती बनाकर वेग से श्वास अंदर खीचें। ठुढ़ी को कंठ-कुप से लगाकर नेत्र बंद करके कुंभक करें। कर्ण शक्ति विकासक (भ्मंतपदह चवूमत कमअमसवचउमदज) - इसमें नेत्र , कान , नाक , मुख बंद करते हुए पुनः मुख को कौए की चोंच के समान बनाकर वायु खींचकर गाल फुलाक...

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 चलती कार को ढलान (उतार) पर न्यूट्रल करना या क्लच दबाकर चलाना न सिर्फ तकनीकी रूप से गलत है, बल्कि जानलेवा भी हो सकता है। वैज्ञानिक और यांत्रिक (Mechanical + Safety) दृष्टिकोण से विस्तारपूर्वक समझते हैं: 🚫 1. न्यूट्रल में गाड़ी को उतारने के नुकसान: 🔧 तकनीकी दृष्टिकोण: न्यूट्रल में डालने का मतलब है कि इंजन का कार के पहियों से कोई संबंध नहीं होता। यानी, इंजन ब्रेकिंग नहीं होती। इससे गाड़ी पूरी तरह गुरुत्वाकर्षण (gravity) पर चल रही होती है। स्पीड तेजी से बढ़ती है, लेकिन कंट्रोल कम होता है। ⚠️ खतरनाक परिणाम: अगर अचानक मोड़ आए या आगे कोई गाड़ी रुकी हो तो कार को रोकने में बहुत समय और दूरी लगती है। ब्रेक फेल हो जाए तो आपके पास कंट्रोल का कोई और साधन नहीं रहता। न्यूट्रल में गाड़ी स्लो नहीं होती, बल्कि तेजी से फिसलती है, जिससे एक्सीडेंट का खतरा बढ़ जाता है। ✅ इंजन ब्रेकिंग क्या होती है और क्यों जरूरी है? जब आप गाड़ी को गियर में रखते हैं, तो इंजन भी व्हील को रोकने में मदद करता है। इससे ब्रेक पर लोड कम पड़ता है और वाहन आसानी से नियंत्रित रहता है। 🚫 2. ढलान पर क्लच दबाकर गाड़ी चलाना क्यों खत...

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