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Showing posts from March, 2022

मध्यप्रदेश

  झुकही से kalhara- कैमोर- सभागंज - झुकेही - रीवा- पुंछी - निलकंठेश्वर- padhkuri  - जे बी खुर्ड ( बर्मन दलाल का गाव) - kharkhari ( पटेल दलाल का गाव) - अमूवारी गाव - विजरावगढ़ - हंसला - सिलगरी बाजार- पिपेरिय कला -- बरही Nanhwara ननहवारा vill.में जमीन देखा गया 4×4  एकड़। 7 लाख/ एकड़ -  अमूवारी मे भी देखा गया ४ एकड़- dithwara-डीठवारा - जे बी कलां से घूमना है फिर  punchi पूछी- फाटक से बाई साइड आना है - थाना amdraa  से लेफ्ट साइड आने पर रीवा के बाद jukhe - सभागंज दलाल- 1. पटेल, 2. Berman sabhaganj --हनुमाणा -मिर्जापुर - चुनार - मुगलसराय

दवाओं के सही इस्तेमाल से बढ़ा सकते हैं मछली का उत्पादन

 दवाओं के सही इस्तेमाल से बढ़ा सकते हैं मछली का उत्पादन तालाब में मछली के बीज डालने से पहले ऑक्सीटैब/ऑक्सीमैक्स के प्रयोग से मछली के बीज की मृत्युदर कम हो जाती है।

मछली के आम रोग कारण, लक्षण, तर्क कार्यवाही, ईलाज

  मछली के आम रोग कारण, लक्षण, तर्क कार्यवाही, ईलाज क्रमांक रोग और कारण लक्षण संक्रमण के कारण कार्यवाही ईलाज 1. अल्सर रोग सुडोमोनाज और एरोमोनास जीवाणुओं से होता है| रोग ग्रस्त मछली पर गुलाबी सफ़ेद खुले घाव जिन पर  प्राय सफ़ेद परत दिखती है जो कि कभी-कभी मधुरिका  व अन्य जीवाणुओं से दोबारा  प्रभावित होता है | पानी की अल्प  गुणवत्ता या पी०एच० का स्तर अत्याधिक होना| इन के कारण  छोटे-छोटे घाव भी रोग ग्रसित  हो जाते हैं प्राय: नई  आयात की  गई कोई कार्प और गोल्ड फिश पर भी असर होता  है|   पानी में मौजूद अमोनिया और नाईट्राइट  का निरीक्षण  करें | प्रदूषित जल के स्तर को कम करने के लिए पानी को ज्यादा मात्रा में बदलना चाहिए | मछली में  खुले घाव होने की  वजह से मछली जल्दी-जल्दी नमक की मात्रा छोड़ती है इसलिए  राँक साल्ट की मात्रा 1-3 ग्रा०/लीटर  डाली जानी  चाहिए | एंटी अल्सर उपचार का प्रयोग करें   अगर यह इलाज निष्फल रहता है तो मत्स्य चिकित्सक इससे शक्तिशाली एंटी बायोटिक दवाईओं  को प्रयोग करने की  सलाह देते हैं | 2. मछली में आँख का धुंधलापन नामक रोग खराब पानी, निम्न स्तर  का आहार, आँखों   के फलयूक,

Missed call से Bank account balance check करने के लिए आवश्यक चीजें।

  Missed call से Bank account balance check करने के लिए आवश्यक चीजें। Registered mobile number – बैंक में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर आवश्यक है। आप रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर ही अकाउंट बैलेंस प्राप्त कर सकते हैं। कॉल करने (मिस्ड कॉल) करने और एसएमएस प्राप्त करने के लिए मोबाइल नंबर चालू होना चाहिए। मिस्ड कॉल और एसएमएस बैंकिंग का लाभ उठाने के लिए आपके नंबर पर मोबाइल बैंकिंग की सुविधा चालू होनी चाहिए। SR. No. BANK NAME MISSED CALL NUMBER 1 Axis Bank 18004195959 2 Andhra Bank 09223011300 3 Allahabad Bank 09224150150 4 Bank Of Baroda 09223011311 5 Bharatiya Mahila Bank 09212438888 6 Dhanlaxmi Bank 08067747700 7 IDBI Bank 18008431122 8 Kotak Mahindra Bank 18002740110 9 Syndicate Bank 09664552255 10 Punjab National Bank 18001802222 11 ICICI Bank 02230256767 12 HDFC Bank 18002703333 13 Bank Of India 09015135135 14 Canara Bank 09015483483 15 Central Bank Of India 09222250000 16 Karnataka Bank 18004251445 17 Indian Bank 09289592895 18 State Bank Of India 180011221

ग्रास कार्प मछली

  ग्रास कार्प आम जानकारी चारा नस्ल की देख रेख बीमारियां और रोकथाम आम जानकारी इसका शरीर बड़ा, सिर लगभग गोल और समतल, चाने बड़े, निचला जबड़ा छोटा और छोटी आंखे होती हैं। इसका सिलवर किनारों के साथ बाहर की ओर से रंग गहरा भूरा होता है और पेट का रंग सफेद होता है। गहरे किनारों के साथ स्केल बड़े आकार के होते हैं। यह नदी में रहने वाली मछली है और ठहरे हुए पानी से बहते हुए पानी में जाने की इच्छा रखती है। यह बड़ी टरबाइड नदियों और संबंधित बाढ़ की झीलों की मछली है। यह 0-40 डिगरी सेल्सियस तापमान को सहन कर सकती है। इस प्रजाति का जीवन काल लंबा होता है। भारत में यह मछली मई जून के महीनों में अंडे देने के लिए तैयार हो जाती है। यह मछली अपने शरीर के प्रति किलो भार के अनुसार 0.8-1.00 लाख अंडे देती है। यह नसल अपने भार के अनुसार भोजन का 40-70 प्रतिशत खा जाती है। लगभग 24000 ग्रास कार्प प्रति एकड़ में पाली जा सकती है। पानी में छोड़ते समय यदि मछली 13—15 सैं.मी. लंबी होती है तो पानी और अन्य स्थितियों के आधार पर इसका भार 8—10 महीनों में 0.5—1.0 किलो हो जाता है। तालाब से निकालते समय मछली का आकार तालाब में 1—1.5 किलो ह

महिलाओ के लिए गर्भनिरोधक उपाय – प्रेग्नेंट ना होने के उपाय

महिलाओ के लिए गर्भनिरोधक उपाय – प्रेग्नेंट ना होने के उपाय 1. गर्भनिरोधक गोलियां अनचाहे गर्भ से बचने के लिए बहुत सारी महिलाये गर्भनिरोधक गोली का  है। ये गोलियां खाना बहुत आसान है, लेकिन ये असर तभी करती हैं जब हर दिन इन्हें एक निश्चित समय पर नियमित रूप से लिया जाए। बाजार में कई तरह की गर्भ निरोधक दवाएं आती हैं, जिनमें से किसी में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन दोनों होते हैं, तो किसी में केवल प्रोजेस्टिन होता है। कई महिलाएं दोनों हार्मोन वाली दवा लेती हैं, जिसे कॉम्बिनेशन पिल कहा जाता है। 2. प्रजनन जागरूकता प्रक्रिया  ये प्रक्रिया आपको अपने पीरियड के चक्र से पता लगेगी की आपका ओवुलेशन कब है। ओवुलेशन मतलब ओवरी में से अंडे का बहार नीकलना और फॉलोपियन ट्यूब में आके रुकना। ओवुलेशन तब होता है जब महिला में अंडाशय अंडे को बहार निकालती है। ज्यादातर महिलाओ का मासिक धर्म चक्र (menstrual cycle) 28 दिनों का होता है। महिला का ओवुलेशन उनके पीरियड आने के 12 – 14 दिन पहले होता है। और उस दौरान अगर आप संबंध बनाते हो तो आपके प्रेगनेंसी रहने की ज्यादा संभावना रहती है। इस लिए आपको ओवुलेशन समय पे सावधानी रखनी पड़ेगी

पोल्ट्री फार्म business

  सिर्फ 50 हजार रुपये में शुरू करें ये बिजनेस, मंथली होगी 1 लाख की कमाई, सरकार से मिलेगी सब्सिडी कम खर्च में शुरू करें ये शानदार बिजनेस Business Idea: अगर आप छोटे पैमाने पर पोल्ट्री फार्म शुरू करना चाहते हैं तो कम से कम 50,000 रूपये से 1.5 लाख रुपये के बीच खर्च आएगा. अगर छोटे स्तर यानी 1500 मुर्गियों से लेयर फार्मिंग की शुरुआत करेंगे तो आप 50 हजार से 1 लाख रुपये प्रति महीना तक कमा सकते हैं. NEWS18HINDI LAST UPDATED: FEBRUARY 04, 2022, 08:01 IST नई दिल्ली. Business Idea: अगर आप बिज़नेस (How to Start Business) के लिए कृषि क्षेत्र में अपना नसीब आजमाना चाहते हैं, तो मौसम के भरोसे चलने वाली खेती के अलावा भी कई विकल्प हैं जो आपको मुनाफे की गारंटी देते हैं. इसी में से एक है मुर्गी पालन (Poultry Farming) का बिजनेस. अगर आप छोटे पैमाने पर पोल्ट्री फार्म शुरू करना चाहते हैं तो कम से कम 50,000 रूपये से 1.5 लाख रुपये के बीच खर्च आएगा. अगर छोटे स्तर यानी 1500 मुर्गियों से लेयर फार्मिंग की शुरुआत करेंगे तो आप 50 हजार से 1 लाख रुपये प्रति महीना तक कमा सकते हैं. सबसे पहले आती है पैसों की बातअगर आप छोटे

अनार की खेती

 माहू इस किस्म का रोग पौधों पर आक्रमण कर उन्हें हानि पहुँचाता है | यह कीट रोग पौधों के नाजुक अंगो पर आक्रमण कर उनका रस चूस लेता है | इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तियों का रंग काला पड़ जाता है, तथा कुछ समय पश्चात् ही पत्ती पूरी तरह से नष्ट होकर गिर जाती है | इसके साथ की पौधा विकास करना बंद कर देता है | अनार के पौधों को इस रोग से बचाने के लिए प्रोफेनोफॉस या डायमिथोएट की उचित मात्रा का छिड़काव किया जाता है | इसके अतिरिक्त यदि रोग का प्रकोप अधिक बढ़ जाता है, तो इमिडाक्लोप्रिड की उचित मात्रा का छिड़काव पौधों पर करे | अनार के फलो की तुड़ाई, पैदावार और कमाई (Pomegranate Fruit Harvesting yield and Benefits) अनार की उन्नत किस्में 120 से 130 दिन पश्चात् पैदावार देना आरम्भ कर देती है | जब इसके फलो का रंग ऊपर से पीलापन लिए हुए लाल रंग का हो जाये, उस दौरान इसके फलो की तुड़ाई कर ली जाती है | अनार के एक पेड़ से लगभग 15 से 20 KG की पैदावार प्राप्त हो जाती है | एक हेक्टेयर के खेत में तक़रीबन 600 से अधिक पेड़ो को लगाया जा सकता है | अनार के एक हेक्टेयर के खेत से 90 से 120 क्विंटल की पैदावार प्राप्त हो

जानें किस महीने में कौन सी सब्जी लगाने से होताहै अधिक फायदा

  जानें किस महीने में कौन सी सब्जी लगाने से होताहै अधिक फायदा  जनवरी राजमा, शिमला मिर्च, मूली, पालक, बैंगन, चप्‍पन कद्दू फरवरी राजमा, शिमला मिर्च, खीरा-ककड़ी, लोबिया, करेला, लौकी, तुरई, पेठा, खरबूजा, तरबूज, पालक, फूलगोभी, बैंगन, भिण्‍डी, अरबी, एस्‍पेरेगस, ग्‍वार   मार्च ग्‍वार, खीरा-ककड़ी, लोबिया, करेला, लौकी, तुरई, पेठा, खरबूजा, तरबूज, पालक, भिण्‍डी, अरबी अप्रैल चौलाई, मूली मई फूलगोभी, बैंगन, प्‍याज, मूली, मिर्च जून फूलगोभी, खीरा-ककड़ी, लोबिया, करेला, लौकी, तुरई, पेठा, बीन, भिण्‍डी, टमाटर, प्‍याज, चौलाई, शरीफा जुलाई खीरा-ककड़ी-लोबिया, करेला, लौकी, तुरई, पेठा, भिण्‍डी, टमाटर, चौलाई, मूली अगस्‍त गाजर, शलगम, फूलगोभी, बीन, टमाटर, काली सरसों के बीज, पालक, धनिया, ब्रसल्‍स स्‍प्राउट, चौलाई सितम्‍बर गाजर, शलगम, फूलगोभी, आलू, टमाटर, काली सरसों के बीज, मूली, पालक, पत्‍ता गोभी, कोहीराबी, धनिया, सौंफ के बीज, सलाद, ब्रोकोली अक्‍तूबर गाजर, शलगम, फूलगोभी, आलू, टमाटर, काली सरसों के बीज, मूली, पालक, पत्‍ता गोभी, कोहीराबी, धनिया, सौंफ के बीज, राजमा, मटर, ब्रोकोली, सलाद, बैंगन, हरी प्‍याज, ब्रसल्‍स स्‍प

गोबर से खाद बनाने के परंपरागत तरीके-

 गोबर से खाद बनाने के परंपरागत तरीके- कृषि वैज्ञानिकों ने गोबर से खाद बनाने के परंपरागत तरीके के स्थान पर नया तरीका सुझाया है। इस विधि से गोबर से अच्छी खाद डेढ़ से दो महीने में बनकर तैयार हो जाती है। सघन फसल चक्र अपनाने से भूमि से बहुत जरूरी पोषक तत्वों के अत्यधिक दोहन से भूमि स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। भूमि में पोषक तत्वों की कमी से उत्पादन में निरंतर गिरावट, फसलों की गुणवत्ता में कमी, मानव स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव, पौष्टिक चारे की कमी से पशुओं में बांझपन आदि नुकसान हो रहे हैं। खंड कृषि अधिकारी डा. महावीर सिंह मलिक ने बताया कि भूमि में लगातार आर्गेनिक कार्बन का स्तर गिरता जा रहा है। इसलिए कार्बनिक पदार्थो की पूर्ति के लिए कार्बनिक खाद के रूप में गोबर की खाद, कम्पोस्ट खाद, कंचुआ खाद, हरी खाद, खेतों की परती रखना एवं फसलचक्र में दलहनी फसलों को शामिल करना जरूरी हो गया है। ोबर खाद तैयार करने की नई विधि : गोबर के ढेर या कुरड़ी को सभी तरफ के किनारों को लगभग आधा या एक फुट ऊंचा उठाकर प्यालीनुमा बना लेते हैं। इसके बाद इसमें बाल्टियों या पाइप से इतनी मात्रा में पानी डाला जाता है कि सा