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गाड़ी हमेशा हैंडब्रेक के साथ खड़ा करें, और स्टार्ट करते समय क्लच दबाकर ही करे

 बहुत से लोग कन्फ्यूज रहते हैं कि कार को पार्किंग के समय गियर में खड़ा करें या न्यूट्रल + हैंडब्रेक और पार्किंग  1. कार को गियर लगाकर खड़ा करना कैसे करते हैं – इंजन बंद करने के बाद गाड़ी को 1st गियर या Reverse गियर में डालकर खड़ा कर देते हैं। क्यों करते हैं – गियर लॉक करने से गाड़ी के टायर जाम हो जाते हैं और वह आगे–पीछे रोल नहीं करती। 2. फायदे (गियर लगाकर खड़ी करने के) ✅ 1. ढलान पर सुरक्षा – अगर हैंडब्रेक फेल हो जाए, तो गाड़ी आगे या पीछे नहीं लुड़ेगी क्योंकि गियर लॉक हो जाता है। 2. अतिरिक्त सेफ्टी – हैंडब्रेक के साथ गियर डलने से डबल लॉक जैसा काम करता है। 3. लंबे समय तक खड़ी करने में उपयोगी – अगर कार कई दिन पार्किंग में खड़ी करनी हो तो सिर्फ हैंडब्रेक पर रखने से ब्रेक शू जाम हो सकते हैं, इसलिए गियर में खड़ी करना बेहतर  3. नुकसान (गियर लगाकर खड़ी करने के)  1. इंजन पर हल्का दबाव – लंबे समय तक गियर में कार खड़ी करने से इंजन और गियरबॉक्स पर थोड़ा स्ट्रेस आ सकता है। 2. स्टार्ट करते समय झटका – अगर भूलवश क्लच दबाए बिना स्टार्ट कर दिया तो कार झटके से आगे बढ़ सकती है, एक्सीडें...
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पहली सर्विस में कंपनी वाले ज़्यादातर निरीक्षण और बेसिक टॉर्क टाइटनिंग करते हैं, बड़े रिपेयर नहीं। आमतौर पर वे ये करते हैं:

 पहली सर्विस में कंपनी वाले ज़्यादातर निरीक्षण और बेसिक टॉर्क टाइटनिंग करते हैं, बड़े रिपेयर नहीं। आमतौर पर वे ये करते हैं: कंपनी की फ्री पहली सर्विस में शामिल काम 1. इंजन ऑयल और ऑयल फ़िल्टर बदलना (कुछ ब्रांड पहली सर्विस में नहीं बदलते, मैनुअल चेक करें)। 2. एयर फ़िल्टर सफाई। 3. सभी नट-बोल्ट, सस्पेंशन, दरवाज़ों के हिंग, आदि टॉर्क चेक। 4. ब्रेक सिस्टम, टायर प्रेशर, व्हील अलाइन्मेंट का चेक। 5. इलेक्ट्रिकल सिस्टम (लाइट, हॉर्न, वाइपर) चेक। 6. इंजन स्कैनर से OBD फॉल्ट कोड जांच। आपको जो अलग से कहना चाहिए (फ्री में करवाने के लिए): टायर रोटेशन और बैलेंसिंग (अगर पॉलिसी में है तो चार्ज नहीं होगा) सभी डोर लॉक और हिंज पर लुब्रिकेशन बैटरी टर्मिनल की सफाई सॉफ्टवेयर अपडेट (ECU/इंफोटेनमेंट) वाइपर ब्लेड और वॉशर जेट सेटिंग चेक सभी रबर पार्ट (बेल्ट, होज़) की विजुअल चेक

क्रूज़ कंट्रोल क्या करता है

 कार में क्रूज़ कंट्रोल एक ऐसी सुविधा होती है जिससे आप बिना एक्सीलेटर दबाए गाड़ी को एक तय स्पीड पर चलाते रह सकते हैं। यह लंबे हाईवे सफ़र में थकान कम करता है और स्पीड स्थिर रखने से माइलेज भी बेहतर हो सकता है। क्रूज़ कंट्रोल क्या करता है एक बार सेट करने पर गाड़ी उसी स्पीड पर चलती रहती है। आपको बार-बार एक्सीलेटर दबाने की ज़रूरत नहीं पड़ती। ब्रेक, क्लच, या कैंसल बटन दबाते ही यह बंद हो जाता है। इसको कैसे चालू करते हैं 1. स्पीड बढ़ाएं – आमतौर पर 40–50 km/h से ऊपर क्रूज़ कंट्रोल काम करता है (कार मॉडल के हिसाब से अलग हो सकता है)। 2. क्रूज़ कंट्रोल बटन ऑन करें – स्टीयरिंग व्हील पर या उसके पास ON लिखा बटन दबाएं। 3. SET बटन दबाएं – इससे आपकी वर्तमान स्पीड लॉक हो जाएगी। 4. +/- बटन से स्पीड एडजस्ट करें – स्पीड बढ़ाने या घटाने के लिए। 5. ब्रेक/क्लच दबाने पर बंद हो जाएगा – या CANCEL बटन से बंद करें। बटन कहां होता है ज्यादातर गाड़ियों में स्टीयरिंग व्हील के दाहिने तरफ़ या उसके पीछे ON, OFF, SET, RES, +, - वाले बटन होते हैं। कुछ कारों में यह स्टॉक (इंडिकेटर लीवर जैसा) के ऊपर लगा होता है। फायदे लंबी...

लगातार खड़ी कार के समयानुसार खराब होने वाली चीज़ों की लिस्ट

 कार को लंबे समय तक खड़ा छोड़ने पर अलग-अलग पार्ट्स और सिस्टम अलग-अलग समय में खराब होने लगते हैं। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि कार खुली जगह, ढकी जगह, या पूरी तरह गैरेज में खड़ी है। मैं आपको लगातार खड़ी कार के समयानुसार खराब होने वाली चीज़ों की लिस्ट दे रहा हूँ: 1–2 हफ्ते (14 दिन तक) टायर का प्रेशर गिरना: हवा धीरे-धीरे कम हो जाती है, जिससे टायर में फ्लैट-स्पॉट बन सकते हैं। ब्रेक डिस्क पर जंग: खासकर बारिश/नमी में डिस्क पर पतली जंग की परत आ जाती है। बैटरी चार्ज घटने लगना: खासकर पुरानी बैटरी में वोल्टेज गिरना शुरू हो जाता है। 3–4 हफ्ते (1 महीना) बैटरी डिस्चार्ज: कार स्टार्ट नहीं होगी या क्रैंक कमजोर होगा। फ्यूल में हल्का डिग्रेडेशन: पेट्रोल में ऑक्टेन वैल्यू कम होने लगती है, डीजल में नमी और बैक्टीरिया बनने की संभावना। रबर पार्ट्स का सूखना: वाइपर ब्लेड और डोर रबर में क्रैकिंग शुरू हो सकती है। 2–3 महीने टायर फ्लैट-स्पॉट और क्रैकिंग: लंबे समय तक एक ही पोजिशन में रहने से टायर का गोल आकार बिगड़ सकता है। ब्रेक सीज़ होना: ब्रेक पिस्टन और शू जाम हो सकते हैं। फ्यूल खराब होना: पेट्रोल में गो...

हैज़र्ड लाइट का होता है? और वो भी डैशबोर्ड के बिल्कुल बीच में?

 सबसे अलग और बड़ा बटन हैज़र्ड लाइट का होता है? और वो भी डैशबोर्ड के बिल्कुल बीच में? अब सवाल ये उठता है — ऐसा क्यों? 👉मान लीजिए आप हाईवे पर तेज़ रफ्तार में गाड़ी चला रहे हैं और अचानक सामने कोई जानवर, खड़ी गाड़ी या गड्ढा आ जाए। उस समय आपके पास सोचने का वक्त नहीं होता, सिर्फ एक सेकंड में फैसला लेना होता है कि बाकी वाहनों को कैसे सतर्क करें। 🔥 यहीं पर काम आती है हैज़र्ड लाइट। 👉इस बटन का आकार बड़ा और पोजीशन सेंटर में इसलिए होती है ताकि ड्राइवर बिना इधर-उधर देखे, सीधे उसे पहचान सके और दबा सके। ये बटन इतना यूनिवर्सल डिज़ाइन किया गया है कि चाहे आप किसी भी कंपनी की कार चला रहे हों, हर गाड़ी में ये बटन पहचान में आ जाता है — एक त्रिकोण चिन्ह के साथ। 👉मान लीजिए आप बारिश में गाड़ी चला रहे हैं, आगे कोहरा है और विज़िबिलिटी कम है। ऐसे में आपको गाड़ी धीमी करनी पड़ेगी या साइड में खड़ा होना पड़ेगा। पीछे से आ रही गाड़ियों को ये जानकारी कैसे मिले? आप हैज़र्ड लाइट ऑन करेंगे ताकि पीछे वाले ड्राइवर सतर्क हो जाएं कि आगे कुछ इमरजेंसी है। 👉इसी तरह अगर आपकी गाड़ी खराब हो जाए या टायर पंक्चर हो जाए और आप ...

कार को खड़ी करते टाइम हैंडब्रेक (पार्किंग ब्रेक) लगाने से पहिये क्यों जाम हो जाते हैं?

 कार को खड़ी करते टाइम हैंडब्रेक (पार्किंग ब्रेक) लगाने से पहिये क्यों जाम हो जाते हैं? 1. जंग लगना – अगर कार के ब्रेक के पार्ट्स में पानी या नमी चली जाए तो धातु जंग खा जाती है और फँस जाती है। 2. पार्ट्स का अटक जाना – पीछे के ब्रेक में स्प्रिंग, केबल या पिन अटक सकते हैं। 3. बहुत टाइट होना – अगर हैंडब्रेक की तार (केबल) बहुत कसी हुई हो तो पहिये घूमना बंद कर सकते हैं 4. लंबे समय तक खड़ी रहना – कई दिन या हफ़्ते कार खड़ी रहने से ब्रेक के पार्ट्स जम जाते हैं। 5. ठंड या बर्फ में – ठंडी जगह पर पानी जमने से हैंडब्रेक रिलीज नहीं होता। इससे नुकसान क्या होता है? पहिये फँस जाते हैं, कार चल नहीं पाती। टायर और ब्रेक जल्दी खराब हो जाते हैं। पीछे के ब्रेक का ड्रम, डिस्क या केबल बदलवानी पड़ सकती है — खर्चा ज़्यादा आता है। रोज़ाना चलने वाली कार में – हमेशा हैंडब्रेक लगाइए, इससे कार लुढ़कती नहीं है। अगर कार कई दिन खड़ी रखनी है – हैंडब्रेक की जगह गाड़ी गियर में रखिए और पहिये के आगे पत्थर/स्टॉपर लगाइए। ढलान पर पार्क करते समय पहिया फुटपाथ की तरफ घुमा दीजिए ताकि कार लुढ़के नहीं। साल में कम से कम एक बार ब्...

कार में अलग-अलग हिस्सों से कई तरह की आवाज़ें आ सकती हैं, और हर आवाज़ का अपना एक पैटर्न, नाम (या आम बोलचाल में पहचान) और कारण होता है। ताकि आप पहचान सकें कि कौन-सी आवाज किस जगह से आ रही है।

 कार में अलग-अलग हिस्सों से कई तरह की आवाज़ें आ सकती हैं, और हर आवाज़ का अपना एक पैटर्न, नाम (या आम बोलचाल में पहचान) और कारण होता है।  ताकि आप पहचान सकें कि कौन-सी आवाज किस जगह से आ रही है। 1. इंजन से आने वाली आवाज़ें टिक-टिक (Tapping) हल्की, तेज़ लय वाली वाल्व क्लियरेंस ज़्यादा होना, ऑयल प्रेशर कम ठक-ठक (Knocking) गहरी धातु जैसी पिस्टन, कनेक्टिंग रॉड या बेयरिंग घिसना घर्र-घर्र (Grinding) रगड़ने जैसी ऑयल कम होना, इंटरनल पार्ट घिसना व्हूं-व्हूं (Whining) सीटी या मशीन जैसी अल्टरनेटर बेल्ट या पावर स्टीयरिंग पंप फट-फट (Popping) पटाखा जैसी मिसफायर, एग्जॉस्ट लीकेज 2. गियरबॉक्स और क्लच से आने वाली आवाज़ें आवाज़ का नाम / पहचान आवाज़ का अंदाज़ संभावित कारण घर्र-घर्र (Gear Grinding) गियर बदलते समय क्लच पूरा न दबना, सिंक्रो रिंग घिसना टक-टक गियर लगाते समय झटका गियर लीवर लिंक ढीला व्हूं-व्हूं गाड़ी चलाते समय गियरबॉक्स बेयरिंग खराब 3. ब्रेक से आने वाली आवाज़ें आवाज़ का नाम / पहचान आवाज़ का अंदाज़ संभावित कारण चीं-चीं (Squealing) ब्रेक लगाते समय ब्रेक पैड घिसना घर्र-घर्र ब्रेक लगाते समय पै...