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तंत्र क्रिया

 तंत्र क्रिया या नाड़ी क्रिया शरीर की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जिसमें शरीर के विभिन्न अंगों और तंत्रों के बीच संचार और नियंत्रण का काम होता है। यह प्रक्रिया नाड़ियों द्वारा शरीर में फैली हुई है, जो शरीर के विभिन्न भागों से संकेत प्राप्त करती हैं और उन्हें मस्तिष्क तक पहुंचाती हैं।


तंत्र क्रिया के मुख्य घटक:


1. नाड़ियाँ: शरीर में फैली हुई नाड़ियाँ जो संकेतों को पहुँचाती हैं।

2. मस्तिष्क: शरीर का नियंत्रण केंद्र जो संकेतों को प्राप्त करता है और निर्णय लेता है।

3. तंत्रिका कोशिकाएँ: नाड़ियों में उपस्थित कोशिकाएँ जो संकेतों को पहुँचाती हैं।


तंत्र क्रिया के कार्य:


1. संचार: शरीर के विभिन्न अंगों के बीच संचार करना।

2. नियंत्रण: शरीर के विभिन्न कार्यों को नियंत्रित करना।

3. संकेत प्राप्त करना: शरीर के विभिन्न भागों से संकेत प्राप्त करना।

4. प्रतिक्रिया करना: संकेतों के आधार पर प्रतिक्रिया करना।


तंत्र क्रिया के प्रकार:


1. स्वैच्छिक तंत्र क्रिया: जिसमें हमारे वश में होती है, जैसे हाथ-पैर हिलाना।

2. अनैच्छिक तंत्र क्रिया: जिसमें हमारे वश में नहीं होती, जैसे दिल की धड़कन।


तंत्र क्रिया के विकार:


1. पार्किंसंस रोग

2. अल्जाइमर रोग

3. मिर्गी

4. तंत्रिका तंत्र की चोट


तंत्र क्रिया को स्वस्थ रखने के लिए: क्या करे

1. नियमित व्यायाम 

2. संतुलित आहार 

3. पर्याप्त नींद 

4. तनाव कम 

5. ध्यान और योग 

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