Skip to main content

Posts

Showing posts from 2020

वजन बढ़ाने के लिए खाएं

  वजन बढ़ाने के लिए खाएं - जिस तरह मोटापा और बढ़ा हुआ वजन बड़ी समस्या है उसी तरह कई लोगों को कम वजन की समस्या का सामना करना पड़ता है। वजन बढ़ाने के घरेलू तरीके आलू आलू को अपने नियमित डाइट में शामिल करें। आलू में कार्बोहाइड्रेट्स और कॉम्प्लेक्स शुगर होता है जो वजन बढ़ाने में मदद करता है। इसके लिए आप आलू किसी भी तरीके से खा सकते हैं, लेकिन कोशिश करें कि वो ज्यादा तला-भुना ना हो। घी घी खाने से भी आपका वजन बढ़ेगा क्योंकि इसमें saturated fats और कैलारी की काफी अच्छी मात्रा होती है। घी आप खाने में डालकर भी खा सकते हैं या फिर शक्कर के साथ मिलाकर भी खा सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि घी की मात्रा सीमित रहे। किशमिश रोजाना दिनभर में एक मुट्ठी किशमिश खाएं। ऐसा करने से आपका वजन तेजी से बढ़ेगा। इसके अलावा किशमिश और अंजीर को बराबर भागों में बांटकर, रातभर भिगोने के बाद खाएंगे तो उससे भी वजन बढ़ेगा। अंडा अंडे में फैट और कैलोरी काफी होती हैं और इसका रोजाना सेवन करेंगे तो वजन बढ़ेगा, लेकिन ध्यान रखें कि कच्चा अंडा भूलकर भी ना खाएं, इससे स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। केला वजन बढ़

ऑयस्टर मशरुम

  ऑयस्टर मशरुम ऑयस्टर मशरुम मशरूम उगाने की पूरी जानकारी.. डॉ. आईके कुशवाहा बताते हैं, "ऑयस्टर मशरूम की खेती बड़ी आसान और सस्ती है। इसमें दूसरे मशरूम की तुलना में औषधीय गुण भी अधिक होते हैं। दिल्ली, कलकत्ता, मुम्बई एवं चेन्नई जैसे महानगरों में इसकी बड़ी माँग है। इसीलिये विगत तीन वर्षों में इसके उत्पादन में 10 गुना वृद्धि हुई है। तमिलनाडु और उड़ीसा में तो यह गाँव-गाँव में बिकता है। कर्नाटक राज्य में भी इसकी खपत काफी है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में भी ओईस्टर मशरूम की कृषि लोकप्रिय हो रही है। ऑयस्टर की खेती के बारे में कहते हैं, "स्पॉन (बीज) के जरिए मशरूम की खेती की जाती है, इसके लिए सात दिन पहले ही मशरूम के स्पॉन (बीज) लें, ये नहीं की एक महीने मशरूम का स्पान लेकर रख लें, इससे बीज खराब होने लगते हैं। इसके उत्पादन के लिए भूसा, पॉलीबैग, कार्बेंडाजिम, फॉर्मेलिन और स्पॉन (बीज) की जरूरत होती है। दस किलो भूसे के लिए एक किलो स्पॉन की जरूरत होती है, इसके लिए पॉलीबैग, कार्बेंडाजिम, फॉर्मेलिन, की जरूरत होती है।" ऐसे करें शुरूआत..

बटन मशरूम

    बटन मशरूम बटन मशरूम उगाने का सही समय अक्टूबर से मार्च के महीने में होता है, इन छ: महीनों में दो फसलें उगाई जाती हैं. बटन खुम्बी की फसल के लिए आरम्भ में 220-260 तापमान की आवश्यकता होती है, इस ताप पर कवक जाल बहुत तेजी से बढ़ता है बाद में इसके लिए 140-180 ताप ही उपयुक्त रहता है. इससे कम ताप पर फलनकाय की बढ़वार बहुत धीमी हो जाती है बटन मशरूम उत्पादन की उन्नत तकनीक 01 August, 2018 12 :00 AM भारत में मशरूम की खेती का प्रचलन दिन प्रतिदिन काफी बढ़ता जा रहा है. जैसे जैसे मनुष्य मानसिक एवं आधुनिक युग की तरफ अग्रसर हो रहे है, वो अपने शरीर के पोषक तत्व युक्त, गुणकारी, पाचनशील, स्वादिष्ट उपयोगी सब्जी भी अपने भोजन में लेना पसंद कर रहे है. मशरूम से हमारे शरीर को काफी मात्रा में प्रोटीन, खनिज-लवण, विटामिन बी, सी व डी मिलती है जो अन्य सब्जियों की तुलना में काफी ज्यादा होती है. इसमें मौजूद फोलिक अम्ल की उपलब्धता शरीर में रक्त बनाने में मदद करती है, इसका सेवन मनुष्य के रक्तचाप, हृदयरोग, में लाभकारी होता है. वैसे तो मशरूम की खेती कई जगह की जाती है लेकिन, यहां हम जानेंगे की कैसे किसान कम लागत में

मशरूम खेती का व्यवसाय

  ये हैं मशरूम के विभिन्न प्रकार तीन तरह के मशरूम की कर सकते हैं खेती 1. बटन मशरूम 2. ढिंगरी मशरूम (ऑयस्टर मशरुम) 3. दूधिया मशरूम (मिल्की) ऑयस्टर मशरूम की खेती बड़ी आसान और सस्ती है। इसमें दूसरे मशरूम की तुलना में औषधीय गुण भी अधिक होते हैं। बटन मशरुम मशरूम का यह प्रकार आपको आसानी से किसी भी सब्ज़ीवाले के पास मिल सकता है। ... शिटाके मशरूम शिटाके मशरूम आम तौर पर सूप में मिलाया जाता है। ... ऑइस्टर मशरूम ये स्वाद में थोड़े मीठे होते हैं और इटालियन डिशेस में इनका इस्तेमाल सबसे ज़्यादा किया जाता है। ... क्रेमिनि मशरूम ... एनोकी मशरूम ... पोर्सिनी मशरूम मशरूम की खेती का व्यवसाय - जहाँ इंडिया में पहले MUSHROOM FARMING  या अन्य खेती सम्बन्धी कार्य करना अशिक्षा की पहचान होती थी अर्थात जो लोग खेती करते थे उन्हें अशिक्षित समझ लिया जाता था, और सच्चाई भी यही थी की अधिकतर अशिक्षित लोग ही इस तरह के कार्यों को करने में संलिप्त थे | लेकिन बदलते समय ने कृषि में भी पढ़े लिखे अर्थात शिक्षित लोगों के लिए अवसर पैदा किये हैं और वर्तमान में बहुत सारे नौजवान भी डेयरी फार्मिंग पोल्ट्री फार्मिंग गोट

प्राकृतिक चिकित्सा

  मुख्य मेनू खोलें प्राकृतिक चिकित्सा किसी अभाषा में पढ़ें    र पादित करें प्राकृतिक चिकित्सा  (नेचुरोपैथी / naturopathy) एक वैकल्पिक चिकित्सा-पद्धति एवं दर्शन है जिसमें 'प्राकृतिक', 'स्व-चिकित्सा' (self-healing), 'अनाक्रामक' (non-invasive) आदि कहीं जाने वाली छद्मवैज्ञानिक क्रियाकलापों का उपयोग होता है। प्राकृतिक चिकित्सा का दर्शन और विधियाँ  प्राणतत्त्ववाद  (vitalism ) और  लोक चिकित्सा  पर आधारित हैं न कि प्रमाण-आधारित चिकित्सा (EBM) पर।  [1]  भारत में एक्युप्रेशर योग नेेेचुरोपैथी परम्परागत पद्धति का विकास प्रचार प्रसार बेेेसिक परशििक्षण एक्युप्रेशर योग नेचुरोपैथी काउंसिल नेेेचुआजलालपुर गोपालगंज बिहार द्वारा संस्थापक डा0 श्री प्रकाश बरनवाल के संंयोजन में हो रहा है। इसके अन्तर्गत रोगों का उपचार व स्वास्थ्य-लाभ का आधार है - 'रोगाणुओं से लड़ने की शरीर की स्वाभाविक शक्ति'। प्राकृतिक चिकित्सा के अन्तर्गत अनेक पद्धतियां हैं जैसे -  जल चिकित्सा ,  होमियोपैथी ,  सूर्य चिकित्सा ,  एक्यूपंक्चर ,  एक्यूप्रेशर ,  मृदा चिकित्सा  आदि। प्राकृतिक चिकित्सा के प्रचलन में