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Showing posts from April, 2022

Juice ) द्वारा रोग उपचार

   Juice ) द्वारा रोग उपचार : जानिए किस रोग में कोण से फल का रस है लाभ कारी , रस चिकित्सा, TREATMENT WITH JUICE, बवासीर के लिए – ताजी छाज १०० – २०० मि.ली., अनार, अंगूर और आँवले के रस(Juice) १५ – २५ मि.ली. और ग्वारपाठा रस २५ मि.ली. | TREATMENT WITH JUICE मधुमेह के लिए – नारियल पानी ५० – १०० मि.ली., करेला का रस २५ -५० मि.ली., बिल्वपत्र, नींम और तुलसी के पत्तों का रस १० – १५ मि.ली.| रक्तविकार (रक्तशुद्धि हेतु )  – आँवला, नींबू, गाजर और ताजी हल्दी का रस १० – २० मि.ली., सेवफल, मीठे अनार व गिलोय का रस १५ – २० मि.ली., दूब (घास) का रस १० – २० मि.ली., लौकी का रस २० – २५ मि.ली., तुलसी का रस ५ – १० मि.ली. नीम और बेल के पत्तों का रस १० – २० मि.ली.| उच्च रक्तचाप के लिए – आँवला, गाजर (बीच में पीला हिस्सा निकालकर), अंगूर, मोसंबी, मीठे अनार और ज्वारों का रस | मानसिक तथा शारीरिक आराम आवश्यक है | TREATMENT WITH JUICE निम्न रक्तचाप – मीठे फलोंका रस लें किंतु खट्टे फलों का उपयोग न करें | आम, अंगूर और मोसंबी का रस अथवा दूध, खजूर भी लाभदायी है | TREATMENT WITH JUICE पीलिया (jaundice) – अंगूर, सेफ, ग्

अनार की खेती कैसे करें?

  अनार की खेती कैसे करें?   On 11 मार्च  बागवानी, अनार का फल सेहत बनाने और धन कमाने, दोनों ही लिहाज से काफी लाभदायक है। अनार (pomegranate) में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, विटामिन, एंटी-ऑक्सीडेंट और खनिज पाया जाता है। खून की कमी, कब्ज की शिकायत, त्वचा में कांति लाने और स्फूर्ति पाने के लिए अनार (pomegranate) का फल बहुत उपयोगी है। इसके छिलकों से भी आयुर्वेदिक औषधि तैयार की जाती है। हमारे देश में अनार की बागवानी महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में खूब होती है।  अनार (Anar) एक ऐसा फल है जिसे कम पानी वाले क्षेत्र में भी आसनी से उगाया जा सकता है। किसान कम लागत में भी अनार की खेती से अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।    तो आइए, इस लेख में अनार की खेती (anar ki kheti) को विस्तार से जानें।  इस लेख में आप जानेंगे-  अनार के लिए जरूरी जलवायु खेती के लिए उपयोगी मिट्टी  खेती का सही समय  खेती की तैयारी कैसे करें  अनार की उन्नत किस्में  सिंचाई एवं उर्वरक प्रबंधन  रोग एवं कीट प्रबंधन कैसे करें  अनार की खेती में कमाई और लागत की जानकारी अनार (Anar) के लिए जरूरी जलव

नींबू की खेती कैसे करें, जानिए किस्में, देखभाल और पैदावार

  नींबू की खेती कैसे करें, जानिए किस्में, देखभाल और पैदावार नींबू की खेती कैसे करें, जानिए किस्में, देखभाल और पैदावार लेमन व लाइम नींबू वर्गीय फलों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है| भारतवर्ष में लेमन व लाइम की बागवानी लगभग हर क्षेत्र में की जा रही है| नींबू के उत्पादन में आन्ध्रप्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, असम, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा व पंजाब का मुख्य योगदान है| वर्ष भर फलों की उपलब्धता, प्रसंस्करण उद्योग में उपयोगिता विटामिन व प्रति आक्सीकारक की प्रचुरता एवं उपभोक्ताओं की स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता नींबू को और अधिक महत्वपूर्ण बनाते हैं| वैज्ञानिक पद्धति से बाग प्रबंधन का अभाव नींबू के उत्पादन व गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है और बाग समय से पहले ही नष्ट हो जाते हैं| अतः लम्बे समय तक व्यावसायिक उत्पादन लेने के लिए जलवायु के अनुसार किस्मों का चुनाव तथा उचित बाग प्रबंधन अति आवश्यक है| इस लेख में कृषकों की जानकारी के लिए नींबू की वैज्ञानिक तकनीक से खेती कैसे करें का विस्तृत उल्लेख किया गया है| नींबू वर्गीय अन्य फसलों की बागवानी वैज्ञानिक तकनीक से कैसे करें की पूरी जानकारी के

नींबू की बागवानी वैज्ञानिक तरीके से करें। 2

  Nimbu Ki Kheti: नींबू की बागवानी वैज्ञानिक तरीके से करें।  नींबू की खेती (nimbu ki kheti) करके किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।  जैसा कि हम सभी जानते हैं कि स्वस्थ रहने के लिए नींबू का सेवन करना काफी अच्छा माना जाता है। नींबू विटामिन सी (Vitamin-C) से भरपूर फल है। इसमें कई तरह के औषधीय गुण पाए जाते हैं।  यही कारण है कि छोटे किसान, जिनके पास कम खेत है, वे अच्छी आमदनी के लिए नींबू की स्मार्ट खेती (lemon farming) की तरफ बढ़ रहे हैं।  आज इस ब्लॉग में नींबू की बागवानी (lemon agriculture)  की पूरी जानकारी देंगे। इससे आप नींबू की खेती (nimbu ki kheti) को आसान भाषा में जान सकेंगे। इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे-  नींबू के लिए जलवायु नींबू के लिए मिट्टी नींबू की खेती का समय खेती की तैयारी कैसे करें नींबू की उन्नत किस्में नींबू की खेती में सिंचाई लगने वाले रोग और निदान नींबू की खेती से कमाई एक्सपर्ट की सलाह जिससे आप नींबू की उन्नत खेती करके अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं। तो आइए सबसे पहले नींबू के लिए जलवायु (Climate) के बारे में जानते हैं।  नींबू की खेती के लिए सही जलवायु नींबू की ब

नींबू की खेती कैसे करें

  नींबू की खेती कैसे करें यह पौधे हमें तीसरे साल से नींबू देने लगते हैं. इन पौधों में एक साल में तीन बार खाद डाला जाता है. आमतौर पर फरवरी, जून और सितंबर के महीनों में ही खाद डालते हैं. पेड़ जब पूरी तरह तैयार हो जाते हैं तो एक पेड़ में 20 से 30 किलों तक नींबू मिल जाते है जबकि मोटे छिलके वाले नींबू की उपज 30 से 40 किलों तक हो सकती है.28-Oct-2021 नींबू की खेती की पूरी जानकारी।उत्तर भारत में नींबू साल में केवल एक बार ही . काग़ज़ी निम्बू की खेती |नींबू की खेती कैसे करे की ज़्यादा उत्पादन हो नींबू की खेती कब और कैसे करें? नींबू की खेती के समय : रोपण का सबसे अच्छा मौसम जून से अगस्त तक है। रोपाई के लिए 60 सेमी x 60 सेमी x 60 सेमी के आकार के गड्ढे खोदे जा सकते हैं। 10 किलोग्राम एफवायएम और 500 ग्राम सुपरफॉस्फेट को प्रति गड्ढे पर लगाया जा सकता है। अच्छी सिंचाई प्रणाली के साथ रोपण अन्य महीनों में भी किया जा सकता है। नींबू का पौधा कितने साल तक फल देता है? अलवर में उद्यान विभाग की राजहंस नारायण विलास नर्सरी में तैयार कागदी नींबू के पौधों की खासियत है कि यह 3 साल में फल देने लगता है और लगात

मध्यप्रदेश जमीन का सरकारी रेट कितना है ?

  मध्यप्रदेश जमीन का सरकारी रेट कितना है ? एमपी में जमीन का सरकारी कीमत पता करने के लिए सबसे पहले अपने मोबाइल या कंप्यूटर में कोई भी इंटरनेट वेब ब्राउज़र ओपन करें। इसके बाद गूगल सर्च बॉक्स में mpigr.gov.in टाइप करके सर्च करें। या हमने इस वेबसाइट का डायरेक्ट लिंक यहाँ दे रहे है। इससे आप सीधे वेब पोर्टल पर जा सकेंगे –  District Wise Market Valuation Guidelines जैसे ही वेब पोर्टल खुलेगा, स्क्रीन पर आपको mp के सभी जिलों का लिस्ट दिखाई देगा। यहाँ आपको जिस जिले का जमीन का सरकारी रेट चेक करना है उसे सेलेक्ट करें। जैसे अगर बैतूल जिले में देखना है तो लिस्ट में BETUL को सेलेक्ट करें। इसके बाद एक पीडीऍफ़ फाइल डाउनलोड होना शुरू हो जायेगा। डाउनलोड पूरा होने के बाद इस फाइल को ओपन करें। इसमें Guideline दिखाई देगा। इसमें उस जिले का अलग अलग प्रकार के जमीन जैसे – कृषि जमीन, आवासीय जमीन एवं व्यावसायिक जमीन का सरकारी कीमत दिखाई देगा। इसे आप चेक कर सकते है। इस तरह मध्य प्रदेश के सभी जिलों में जमीन का सरकारी रेट पता किया जा सकता है। इसके बाद आप उस जमीन पर लगने वाले स्टाम्प ड्यूटी एवं रजिस्ट्री

मेटलैक्सिल दवा का use

 मेटलैक्सिल दवा का use किसी बीज़ को उपचारित करने मे किया जाता है। Ex भिंडी, घिया यानी कदु को January महिना मे रोपा जाता है तो मेटलैक्सिल दवा का use करने पर सभी बीज़ अंकुरित हो जाता है।